रादौर- यमुनानदी में जलस्तर घटने के बाद अब भूमि कटाव से बढ़ी किसानो की चिंता

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रादौर, 18 अगस्त (कुलदीप सैनी) : पहाड़ी व मैदानी क्षेत्रों में हुई भारी बारिश के बाद हथनीकुंड बैराज से बह रहे पानी के बाद जठलाना व गुमथला क्षेत्र में भी रविवार की रात्रि तक यमुनानदी का जलस्तर बढ़ गया। हालांकि सोमवार को धीरे धीरे पानी का बहाव कम होना तो शुरू हो गया लेकिन किसानों के खेतो में किनारों पर होने वाले भूमि कटाव ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है। यमुनानदी के साथ लगते गांवो जठलाना, पोबारी, संधाला, संधाली, नगली, लालछप्पर, गुमथला इत्यादि में लगातार भूमि कटाव हो रहा है। किसानों को डर है कि अभी पहली बार यमुनानदी का जलस्तर बढ़ा है ऐसे में पहले जलस्तर में ही अगर इतना कटाव हो रहा है तो आगामी दिनों में स्थिति और अधिक भयंकर हो सकती है। किसानों का कहना है कि इस बार सबसे अधिक भूमि कटाव नगली व गुमथला घाट के पास हो रहा है। जिससे किसानों की बेशकीमती भूमि यमुनानदी में समानी शुरू हो गई है। एक ओर जहां किसानों की अपनी भूमि को लेकर चिंता बढ़ी हुई है वहीं नगली घाट पर लगातार हो रहे कटाव से यमुनानदी पर बने पुल को लेकर भी किसान चिंता में है।


कटाव के कारण फसल समेत यमुनानदी में समा रही भूमि
नगली घाट के समीप किसान सतनाम सिंह, कश्मीर सिंह, कुलविंद्र, खजान सिंह व गजे सिंह के खेतो में कटाव जारी है। वहीं संधाला निवासी ऋषिपाल, गुमथला निवासी राजबीर, सुरजीत सिंह, बृजेश, सुभाष के खेतो में भी लगातार भूमि कटाव हो रहा हे। जिससे उनकी भूमि में खड़ी धान, गन्ने व ज्वार की फसल समेत उनकी बेशकीमती भूमि यमुनानदी में समा रही है। किसानों को डर है कि अगर यही स्थिति रही तो आगामी दिनों में जैसे जैसे यमुनानदी का पानी कम होगा वैसे वैसे कटाव और अधिक बढ़ेगा और किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ेगा।

नियमों के विपरीत खनन बढ़ा रहा किसानों का दर्द
क्षेत्र के किसानों का कहना है कि भूमि कटाव का सबसे मुख्य कारण नियमों के विपरीत होने वाला खनन कार्य है। क्योंकि खनन एजेंसियां पोकलाइन मशीनों से निर्धारित सीमा से अधिक खनन यमुनानदी में कर रही है। जिससे यमुनानदी लगातार गहरी होती जा रही है। इससे साथ लगती भूमि में कटाव होता है। वहीं समय समय पर खनन कार्य के दौरान यमुनानदी का बहाव भी मोडऩे का कार्य किया जाता है। इससे भी किसानों को नुकसान उठाना पड़ता है। लेकिन बार बार शिकायत करने के बाद भी सरकार व प्रशासन इस ओर कोई ध्यान नहीं देता। जिससे खनन एजेंसियों के हौंसले बुलंद है।
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समय पर व दोनों किनारों पर नहीं होते बाढ़ बचाव कार्य -शिवकुमार
पूर्व जिला परिषद सदस्य शिवकुमार संधाला का कहना है कि सरकार व प्रशासन समय पर बाढ़ बचाव कार्य नहीं करवाता। जब बरसात का सीजन शुरू हो जाता है तब बाढ़ बचाव कार्य शुरू होते है। जिससे उनमें खानापूर्ति होती है। ठेकेदार किनारों पर स्टड बनाने की बजाए खुल पत्थर गिरा देते है और अधिकारियों से मिलीभगत कर सरकार को चूना तो लगाते है। जिसका खामियाजा किसानों को भी भुगतना पड़ता है। वहीं सरकार व सिंचाई विभाग की ओर से उत्तरप्रदेश की ओर यमुनानदी के किनारों पर बाढ़ बचाव कार्य नहीं करवाए जाते। जबकि इस ओर भी क्षेत्र के काफी किसानों की भूमि है। बाढ़ बचाव कार्य न होने से प्रदेश के किसानों को नुकसान उठाना पड़ता है।

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