चंडीगढ़, 20 अगस्त (कुलदीप सैनी) : हरियाणा सरकार ने राज्य के निवासी पूर्व-अग्निवीरों को सीधी भर्ती में क्षैतिज (हाॅरिजाॅन्टल) आरक्षण का लाभ प्रदान करने का निर्णय लिया है। इस विषय पर सरकार द्वारा गहन विचार-विमर्श करने के बाद, अब एक नीति बनाकर राज्य की विभिन्न सेवाओं में पूर्व-अग्निवीरों के लिए आरक्षण की व्यवस्था की गई है।
मुख्य सचिव अनुराग रस्तोगी द्वारा इस सम्बन्ध में एक पत्र जारी किया गया है।
इस नीति के अनुसार, कौशल-विशेषज्ञता से संबंधित ग्रुप-बी के पदों पर पूर्व-अग्निवीरों को 1 प्रतिशत तथा ग्रुप-सी के पदों (कुछ निर्दिष्ट श्रेणियों को छोड़कर) पर 5 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण दिया जाएगा। गृह विभाग में पुलिस कांस्टेबल के पदों के लिए 20 प्रतिशत आरक्षण दिया जाएगा। इसी तरह, पर्यावरण, वन एवं वन्यजीव विभाग में फाॅरेस्ट गार्ड, जेल विभाग में वार्डर तथा खान एवं भूविज्ञान विभाग में माइनिंग गार्ड के पदों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण निर्धारित किया गया है।
सभी सामाजिक वर्गों में न्यायसंगत वितरण सुनिश्चित करने के लिए आरक्षण निश्चित रोस्टर बिंदुओं पर लागू किया जाएगा। चयन पूर्णतः मैरिट के आधार पर होगा और पूर्व-अग्निवीरों का चयन उनकी संबंधित वर्टीकल श्रेणी में आरक्षित पदों के विरुद्ध किया जाएगा। यदि उपयुक्त पूर्व-अग्निवीर उपलब्ध नहीं होता है तो रिक्त पद को संबंधित श्रेणी के पात्र उम्मीदवारों से भरा जाएगा।
सरकार ने यह भी निर्णय लिया है कि पुलिस कांस्टेबल, फॉरेस्ट गार्ड, जेल वार्डर और माइनिंग गार्ड के पदों पर भर्ती के दौरान पूर्व-अग्निवीरों को शारीरिक जांच परीक्षा से छूट दी जाएगी, क्योंकि उनकी शारीरिक क्षमता और सैन्य प्रशिक्षण पहले से प्रमाणित है। इसके अतिरिक्त, पूर्व-अग्निवीरों को पहले से ही ग्रुप-सी पदों की भर्ती के लिए कॉमन एलिजिबिलिटी टेस्ट (सीईटी) से छूट दी गई है। उन्हें अपने सैन्य प्रशिक्षण के दौरान प्राप्त कौशल-विशेषज्ञता से संबंधित परीक्षा से भी छूट मिलेगी। हालांकि, उन्हें विज्ञापित पदों के लिए हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग द्वारा निर्धारित लिखित परीक्षा में शामिल होना अनिवार्य होगा। यह छूट हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग द्वारा ऐसे पदों के लिए जारी किए गए विज्ञापन की प्रतिक्रया में आवेदन करते समय दी जाएगी।
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हरियाणा ने नशामुक्ति अभियान को दी गति
चंडीगढ़, 20 अगस्त (नवदेश टाइम्स ब्यूरो) : हरियाणा ने नशा तस्करी और मादक पदार्थों के दुरुपयोग के खिलाफ अपने अभियान को और अधिक सशक्त बनाते हुए सख्त प्रवर्तन, व्यापक जन-जागरूकता और मजबूत पुनर्वास तंत्र की समन्वित रणनीति के माध्यम से वर्ष 2025 में उल्लेखनीय सफलता प्राप्त की है।
यह जानकारी आज मुख्य सचिव श्री अनुराग रस्तोगी की अध्यक्षता में हुई राज्य स्तरीय नार्को कोआर्डिनेशन (एनकॉर्ड) समिति की 11वीं बैठक में साझा की गई।
मुख्य सचिव ने सरकार के ’नशामुक्त हरियाणा’ विजन के प्रति अटूट प्रतिबद्धता को दोहराते हुए कहा कि राज्य की त्रिस्तरीय रणनीति न केवल नशे की तस्करी पर कड़ी चोट करती है बल्कि इसके मूल कारणों को भी संबोधित करती है।
गृह विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव डॉ. सुमिता मिश्रा ने प्रवर्तन संबंधी उपलब्धियों का उल्लेख करते हुए बताया कि जनवरी से जुलाई 2025 के बीच 2,161 एफआईआर दर्ज की गईं, जबकि पिछले वर्ष इसी अवधि में यह संख्या 2,022 थी। इस दौरान 3,629 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया, जो वर्ष 2024 की तुलना में 35 प्रतिशत अधिक है। मजबूत अंतरराज्यीय समन्वय के चलते 293 अंतरराज्यीय गिरफ्तारियाँ कमर्शियल क्वांटिटी मामलों में दर्ज हुईं, जिससे तस्करी नेटवर्क पर कड़ा प्रहार हुआ। वहीं नशा अपराधियों की वित्तीय कमर तोड़ने के लिए जायदाद कुर्की की राशि वर्ष 2024 में 23.41 लाख रुपए से बढ़कर 2025 में 1.31 करोड़ रुपए तक पहुँच गई। इसके साथ ही निवारक पुलिसिंग भी प्रभावी रही और निवारक नजरबंदी के मामले 8 से बढ़कर 42 हो गए।
उन्होंने तस्करों द्वारा हरियाणा में लाई जा रही नशीली दवाओं की आपूर्ति श्रृंखला को ध्वस्त करने के लिए पड़ोसी जिलों के साथ मिलकर संयुक्त छापेमारी करने का भी आह्वान किया। उन्होंने विभागाध्यक्ष स्तर पर एक छोटी टास्क फोर्स के गठन के भी निर्देश दिए। यह टास्क फोर्स लंबित मुद्दों के समाधान के लिए नियमित बैठकें करेगी।
डॉ. सुमिता मिश्रा ने बताया कि जागरूकता एवं युवा सहभागिता पर भी राज्य का बराबर फोकस प्रभावी रहा है। हरियाणा राज्य नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एचएसएनसीबी) द्वारा सात महीनों में ही 698 नशामुक्ति जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए, जिनसे सीधे 1.15 लाख से अधिक लोग जुड़े। नशामुक्त गांव/वार्ड’ कार्यक्रम के अंतर्गत 4,270 गांव कवर किए गए और लगभग 2.8 लाख युवाओं को खेल एवं रचनात्मक गतिविधियों से जोड़ा गया। इसके अतिरिक्त, घर-घर सर्वे टीमों को भेजा गया ताकि जमीनी स्तर पर लोगों की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित की जा सके।
बैठक में कई सुधारात्मक एवं रणनीतिक पहलों की भी समीक्षा की गई। इनमें औषधियों की आपूर्ति श्रृंखला की केंद्रीकृत निगरानी प्रणाली लागू करना, सभी डि-एडिक्शन सेंटर्स का निरीक्षण कर मानकों का पालन सुनिश्चित करना तथा फॉरेंसिक प्रयोगशालाओं का उन्नयन कर सिंथेटिक ड्रग्स की पहचान हेतु आधुनिक उपकरण उपलब्ध कराना शामिल है। इसके अलावा, हरियाणा ने राष्ट्रीय डेटाबेस जैसे नैटग्रिड और मानस के उपयोग का दायरा बढ़ाया है, जिला अधिकारियों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए हैं और बंद पड़ी रासायनिक फैक्ट्रियों पर निगरानी बढ़ाई है ताकि उन्हें अवैध रूप से पुनः सक्रिय न किया जा सके।
शैक्षणिक संस्थानों को भी इस अभियान में प्रमुख भूमिका सौंपी गई है। विद्यालय शिक्षा विभाग को प्रहरी क्लबों में अभिभावकों की भागीदारी बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं। वहीं उच्च शिक्षा विभाग प्रत्येक माह कॉलेजों में जागरूकता अभियान चला रहा है। इससे नशामुक्ति का संदेश युवाओं तक निरंतर, प्रभावी एवं सामुदायिक सहभागिता के साथ पहुँच रहा है।